Posts

अंतर्द्वंद्व

ईश्वर! कहां है ये ईश्वर। अगर है तो सामने क्यों नहीं आता ---- आदि अनेक प्रश्न हम सभी के मनो मस्तिष्क में उमड़ते रहते हैं। हम सभी को ऐसा लगता है कि ईश्वर हमारी बात सुने। हमे हर दुःख से उबार दे। जो हम चाहें, वो मुझे प्रदान करें। रोग और शत्रु को शमन करे। परंतु ऐसा होता नहीं है। तो क्या ईश्वर है ही नहीं....? इस अबूझ पहेली का हल कई विद्वानों ने अलग -अलग किया है, पर उनका ज्ञान दार्शनिक है। आम मनुष्य इस संसार में दार्शनिक तरीके से नहीं, बल्कि व्यवहारिक तरीके से रहते हैं। अतः उन्हें इसका उत्तर भी व्यवहारिक ज्ञान से ही देना होगा।  ये व्यावहारिक तरीका क्या है, जिससे हमें ईश्वर के विषय में पता चल पाए। यह बताने के बहुत सारे तरीके हैं, पर अब आप बताएं कि ईश्वर को आप कैसे समझते हैं।